Monday, November 10, 2008

आज कलम तू...


आज कलम तू कविता छोड़, लिख दो व्यथा ह्रदय की सारी

भूल नियम, छंदों के तुक को, लिख दो व्यथा ह्रदय की सारी

रफ़्तार लिखो उस धीमे पल की, जो इंतज़ार में कटता था

लिखो कहानी उस रस्ते की, जो राह किसी की तकता था

आंसू लिखो, बेबसी लिखो, और लिखो वक्त की लाचारी

आज कलम तू कविता छोड़, लिख दो व्यथा ह्रदय की सारी
भूल नियम, छंदों के तुक को, लिख दो व्यथा ह्रदय की सारी

पलक झपकते दिन लिख देना, एक सदी सी रातें लिखना

सूनी सी महफिल लिख देना, खुशी भरी सी शामें लिखना

बेजान लिखो मेरी जीतो को, लिख दो मेरी हारें प्यारी

आज कलम तू कविता छोड़, लिख दो व्यथा ह्रदय की सारी
भूल नियम, छंदों के तुक को, लिख दो व्यथा ह्रदय की सारी

साँसों को मुश्किल कर देती, परेशान तनहायी लिख दो

धड़कन को रोके सी रखती, कातिल एक जुदाई लिख दो

जूनून लिखो, अनर्गल बातों को, बदहवास कैफियत दो धारी

आज कलम तू कविता छोड़, लिख दो व्यथा ह्रदय की सारी
भूल नियम, छंदों के तुक को, लिख दो व्यथा ह्रदय की सारी

चहकते हुए सन्नाटे लिख दो, दो नैना बतियाते लिख दो

किस्सों की बेचैनी लिख दो, गुमसुम लफ्ज़ सताते लिख दो

हशर लिखो, बेअसर लिखो, लिख दो बेशुमार खुमारी

आज कलम तू कविता छोड़, लिख दो व्यथा ह्रदय की सारी
भूल नियम, छंदों के तुक को, लिख दो व्यथा ह्रदय की सारी

3 comments:

Anonymous said...

:0 :0 gud one.. :)

Anonymous said...

really a nice one... :)

Priyanki said...

shayarji...fir se ek dhuwa dhar kavita..
2 gd hain ji as alwys....kip it up!! :)