दिन कैसा था, कैसा हूँ मैं
कहूं किसे और कौन सुने
कौन भरे सन्नाटे मेरे
साथ मेरे अब कौन हसे
बाटे कौन नमी आँखों की
सर रखूँ किस कंधे पर
नादान कौन हो जो सब जाने
जो पढ़े नज़र से मेरी नज़र
कमी कहूं किस कमी को मेरी
जो मेरी एक शक्ति बने
धड़कन सी जीवन बन जाये
जो एक मात्र आसक्ति बने
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