Friday, September 26, 2008

विचार तुम्हारा...

जब निशांत में अभाव हो, नूतन से एक जीवन का
जब समीर में रिक्त भाव हो, कुसुमहीन एक मधुबन का
जल इस सूखी अनुभूति को, आर्द्र नही कर पाता है
स्वप्नों का एक अन्धकार, प्रकाश पर विजयी हो जाता है
कथन सभी बनावटी हो, कर्ण श्रवण अभिनय करते हो
ह्रदय गति भी मंद मंद, सब क्षण भारी लगते हो
वर्षा की रिमझिम बूँदें, उल्लास जगाने में असमर्थ्य लगे
दूर कहीं हसने की ध्वनि भी, बुद्धि को अनर्थ लगे
शरीर बने एक भूमि समर की, मन-मस्तिष्क द्रोह करें
विस्मित आत्मा लगे भ्रमर सी, नयन निद्रा विद्रोह करें
विचार तुम्हारा...
आभास तुम्हारी उपस्थिति का, प्राण संचार कर जाता है
वर्णों को अति उज्जवल, मंडल को धवल बनता है
हास्याभिव्यक्ति का एक बिम्ब, इन अधरों पर भी आ मचले
स्मृति के निर्मल स्वेत पृष्ठ पर, आलेख तुम्हारा आ निकले
विमल रूप, वह मुखारबिंदु, वह कमनीय सी कोमलता
वह नृत्यांगना मीनाक्ष नयन, लक्ष्मी स्वरुप चंचलता
चिंतन में भ्रकुटी की सिलवट, लज्जा में वर्णित लाल गाल
सत सूर्यों सा दमके ओजस, आकाश सदृश मधुर भाल
कोकिल वाणी की अतुल खनक, स्रष्टि को कर देती प्रेरित
सौम्य प्रकृति, दायित्व बोध, प्रेम भाव से उद्वेलित
आभा तुम्हारी जीवंत प्रभा, व्यक्तित्व तुम्हारा है विशेष
तुम दर्पण हो सात्विकता का, रात्रि रंगे ये कृष्ण केश
तुलसी की चौपाई सी तुम , भैरवी सा कोई राग
तुम मस्जिद की अजान, मन्दिर का तुम शंखनाद
तुम करुणामयी साध्वी सी, तुम फ़कीर सी मस्तानी
तुम सभ्य हो एक मौलिकता सी, पावनता गंगा का पानी
विचार तुम्हारा...
अब निशांत में भाव है, नूतन से एक जीवन का
अब समीर पर्यायी है, कुसुम सजित एक मधुबन का
अब जल इस प्रेमानुभूति को, श्रृंगारमयी कर जाता है
स्वप्नों का एक स्वर्ण महल, प्रकाशमान हो जाता है
कथन सभी विशुद्ध लगें, कर्ण संगीतानुभव करते हो
ह्रदय गति कुछ तीव्र सही, सब क्षण नर्तक लगते हो
वर्षा की रिमझिम बूँदें, जीवन लक्ष्य का अर्थ लगे
दूर कहीं हसने की ध्वनि, जिजीविषा समर्थ लगे
शरीर बने एक वायुयान, मन मस्तिस्क एक लोभ करें
विक्षिप्त आत्मा लगे प्रफुल्लित, नयन निद्रा भोग करें
विचार तुम्हारा...

For People who find hard to understand Sanskrit Nishth Hindi...

I Think of you...


A life is missing in solar light,

Air feels like desert sight.

Useless tears for dry emotional streams,

Brightness looses over darkness of dreams.

Words seems fake, ears don’t hear

Slow heart beats, heavy time is a fear.

Unable drizzle to conceive zeal

Smile becomes irritating to deal

Battle field body and mind cheats

Soul goes crazy and rebelling sleeps


I Think of you….


A spirit flows through your presence

Colors are brighter, enlightened essence

An image of smile decorates the lips

When your sketch is drawn on memory tips

Flawless beauty, feature heavenly

Dancing fish eyes, vivacious and bubbly

Brows are bow when you think;

Cheeks go red with blushing blink

You are bright as a shining star,

Forehead, itself is a bizarre.

Jingling voice inspires the globe,

Polite in nature, filled with love.

Lively vibes and a special persona,

You’re image of celestial aroma.

Pure as chants or a note musical,

Azan of a mosque, or temple bell

Free as a monk, your sensitivity divine

Holy as Ganges, manners align


I Think of you….


Now life is filled in solar light,

Now air rhymes as garden sight

A tear romances these emotional beams

It lightens the fort of dreams

Pure words knock music in the ears

Faster beats, dancing moments layers

Sprinkle gives a meaning to life

Laughing voice plays as fife

Body get lighten and demands desire

Soul goes happy, luck goes higher

I Think of you….

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