Monday, August 27, 2007

बचपन की काव्य रचनाएँ (1) ....

राष्ट्र को कदापि, विपत्ति घन न घेरें ...

हे ब्रम्ह! मुझे दो,
अनुपम एक शक्ति
हो मुझे बल, बुद्धि और
निःस्वार्थ सेवा से आसक्ति
पंचतत्व की जड़ काया को
कर दो चेतन
प्राप्ति ज्योति की हो
दूर हो तम
मातृभूमि इसी जन्म में
अर्पण हो तन मन
वृक्षों की हरियाली दो
मुझे सूर्य सा ओजस
कर सकूं उत्थान उनका
जो बेचारे बेबस
पृथ्वी सा धैर्य मिले
पर्वत सी दृढ़ता, अविचल
मिले यदि कोई राष्ट्र सम्रद्धि
का विरोध करने वाला
बन सकूं उसके लिए,
मैं काल ज्वाला
सेवा करू देश की
रुके बिना, बिना झुके, अविराम
मृत्यु पर आनंद होगा,
बने राष्ट्र अभिराम
मुझे पर कर उपकार,
चाहे प्राण मेरे ले ले
राष्ट्र को कदापि विपत्ति घन न घेरे....

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देश प्रार्थना...

वह गंध गुलाबों की बेकार,
जिस गंध में देश का प्यार न हो ||
वह वायु बनी है निराधार,
जिस वायु से प्राण संचार न हो ||

कोटि सूर्य सी दिव्या संस्कृति,
विचार मात्र से कर दे जाग्रति,
सहस्त्र गजों सी अतुलित शक्ति,
हम में कदापि अहंकार न हो,
वह गंध गुलाबों की बेकार,
जिस गंध में देश का प्यार न हो ||

हे प्रभु तुम हो अटल अनंत,
सर्व सुख, सत, चित, आनंद,
चेतना करना कभी न मंद,
देश में कभी दुराचार न हो,
वह गंध गुलाबों की बेकार,
जिस गंध में देश का प्यार न हो ||

है मुझे बस इतना गर्व सहर्ष,
मैं जन्मा यहाँ, यह मेरा भारतवर्ष,
हो इसका सदा उत्कर्ष,
राष्ट्र कभी उन्नति से लाचार न हो,
वह गंध गुलाबों की बेकार,
जिस गंध में देश का प्यार न हो ||

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नव प्रभात...

दूर क्षितिज से उगा अरुण,
बना सूर्य जो हुआ तरुण,
सुमधुर वाणी पक्षी कुल की,
और मनोरम घटा प्रकृति की,
मन की वीणा हुई तरंगित,
काव्य सुगंध से हुआ उदित,
खग जन का फिर शोर मचा,
नया पर्ण भी कुछ सकुचा,
पवन थपेड़े पुष्प सद्रश हैं,
आनंदित तन व प्राण हैं,
मंदिर के घंटो की सरगम,
स्थूल प्रकाश, अति सुक्ष्म तम,
नव प्रभात की पावन बेला,
खुशियों का रहे यह मेला....

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जीवन कविता...

जीवन कविता का अर्थ, मुझे कुछ समझ न आया,
कटुता के सम्बन्ध, धन, संबंधो की माया ||
पशु को मतलब नहीं किसी से, स्वयं उसे है चरना,
पर मानव को अपना खाकर, भंडारे है भरना,
सत्य समझता उस असत्य को, जो उसका ही साया,
सब कुछ जड़ है जग, धन और यह काया ||
धन का संचय, भौतिकता, सब है लाभहीन,
संचित होते पुण्य कर्म, सर्वतत्व है तत्त्व हीन,
पर मानव को ऐसा जीवन कभी न भय,
रे मुर्ख, तू क्या लेगा, जब साथ नहीं कुछ लाया ||

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